कर्ज लो, पर कर्ज दो मत – सही कर्ज पंख देता है, गलत कर्ज वजन बढ़ाता है
शहर की भीड़ में एक छोटी सी दुकान थी। रोज़ का काम चलता था, पर मालिक के मन में एक ख्वाहिश कई महीनों से घूम रही थी। वह देख रहा था कि ग्राहक बढ़ रहे हैं, लोग पूछते ज्यादा हैं, पर स्टॉक कम होने की वजह से खरीदते कम हैं। कई बार ऐसा होता कि…
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